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जय श्री कृष्ण!

"यजमान" परिवार की ओर से आप सभी को जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं!
“जब जब होए धरम की हानि, बढ़े अधर्म अति घानी।
तब तब धरती पर मैं आऊँ, सच्चे धर्म की लौ जलाऊँ।”
भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि, वो पावन रात्रि जब कृष्ण कन्हैया का जन्म हुआ वही दिन है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी। यह पर्व न केवल हमारे आराध्य भगवान के आगमन का स्मरण है, बल्कि यह दिन भक्ति, प्रेम, और सत्य की विजय का भी प्रतीक है।

श्रीकृष्ण का जन्म: एक दैवीय कथा

मथुरा नगरी में, अत्याचारी कंस के बंदीगृह में, देवकी और वासुदेव के पुत्र रूप में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ।
माखन चुराना, गोपियों संग रास, कालिया नाग का विनाश, और गोवर्धन पर्वत उठाना आज भी भक्ति और चमत्कार का अनुपम उदाहरण हैं।
क्यों मनाते हैं जन्माष्टमी?
यह दिन अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक है श्रीकृष्ण की लीलाओं और उपदेशों को स्मरण करने का अवसर भक्ति, आत्मचिंतन और धार्मिक जागरूकता को बढ़ावा देने वाला पर्व संस्कारों और परंपराओं से जुड़ने का शुभ अवसर
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पूजा विधि: घर में कैसे करें जन्माष्टमी पूजा?

मधुर भजन और शंखनाद से दिन की शुरुआत करें घर में झूला सजाएं और उसमें बाल गोपाल की मूर्ति विराजित करें पंचामृत से अभिषेक करें – दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से फूलों से श्रृंगार, माखन-मिश्री का भोग, और आरती करें रात 12 बजे श्रीकृष्ण जन्म की शुभ वेला पर विशेष आरती करें| “यजमान” पर हम आपको पूजा की संपूर्ण सामग्री और विधि के साथ मार्गदर्शन भी प्रदान करते हैं। भारत भर में जन्माष्टमी उत्सव मथुरा, वृंदावन, द्वारका और इस्कॉन मंदिरों में लाखों श्रद्धालु रातभर भजन, कीर्तन और झांकियों में डूबे रहते हैं। “दही-हांडी” की परंपरा महाराष्ट्र और गुजरात में विशेष रूप से मनाई जाती है। श्रीकृष्ण केवल एक देवता नहीं, बल्कि एक जीवन शैली, एक विचारधारा और एक आत्मिक प्रकाश हैं। इस जन्माष्टमी, उनका आशीर्वाद आपके जीवन में प्रेम, शांति और समृद्धि लाए। जय श्री कृष्ण!
 
 

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