गुड़ी पड़वा की कथा
गुड़ी पड़वा हिंदू नववर्ष का प्रतीक पर्व है, जो चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। इस पर्व से जुड़ी कई पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैं। एक प्रमुख कथा के अनुसार, इसी दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी। माना जाता है कि जब महाप्रलय के बाद पूरी सृष्टि नष्ट हो गई थी, तब भगवान ब्रह्मा ने नए युग की शुरुआत की और समय की गणना (संवत्सर) का निर्धारण किया। इसलिए इस दिन को नववर्ष के रूप में मनाया जाता है।
गुड़ी पड़वा का महत्व
गुड़ी पड़वा हिंदू धर्म में एक विशेष स्थान रखता है। ऐसा माना जाता है कि गुड़ी को घर पर फहराने से घर से नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती हैं और जीवन में सौभाग्य और समृद्धि आती है। यह दिन वसंत की शुरुआत का भी प्रतीक है और इसे फसल उत्सव के रूप में माना जाता है। कई अन्य राज्यों में इस पर्व को संवत्सर पड़वो, उगादि, चेती, नवारेह, साजिबु नोंगमा पानबा चीरोबा आदि नामों से जाना जाता है। कई लोगों का मानना है कि इस दिन सोना या नई कार खरीदना शुभ होता है।