पितृ पक्ष के दौरान पितरों को श्रद्धांजलि देने और उनका तर्पण करने के लिए कुछ विशेष नियम और अनुशासन होते हैं। इन नियमों का पालन करने से अनुष्ठान अधिक प्रभावी और धर्मिक रूप से सटीक माना जाता है। साथ ही, पितृ पक्ष के दौरान किए गए दान की कुछ विशेषताएँ भी होती हैं जो सर्वोत्तम मानी जाती हैं।
पितृ पक्ष के नियम:
1. सही समय पर अनुष्ठान: पितृ पक्ष का समय भाद्रपद पूर्णिमा से लेकर अश्विनअमावस्या तक होता है। इस अवधि के दौरान पितरों के लिए विशेष पूजा और तर्पण किए जाते हैं।
2. स्वच्छता और पवित्रता: पितृ पक्ष के दौरान शारीरिक और मानसिक स्वच्छता बनाए रखना महत्वपूर्ण है। स्नान करना, स्वच्छ वस्त्र पहनना, और ध्यान केंद्रित रखना आवश्यक है।
3. मूल्यवान सामग्री का उपयोग: पितरों को तर्पण देते समय पवित्र वस्त्र, अन्न, जल, और अन्य सामग्री का उपयोग करें। किसी भी अपवित्र वस्तु का उपयोग करने से बचें।
4. सादगी और श्रद्धा: अनुष्ठान को सरल और श्रद्धापूर्वक करना चाहिए। अत्यधिक भव्यता या दिखावे की बजाय सरलता और सच्ची श्रद्धा अधिक महत्वपूर्ण है।
5. पितरों के नाम का उच्चारण: तर्पण करते समय पितरों के नाम का उच्चारण करना और उन्हें याद करना चाहिए।
6. भोजन और व्रत: इस दौरान विशेष रूप से मांसाहार और अन्य अशुद्ध आहार से बचना चाहिए। उपवास या व्रत रखने की भी परंपरा होती है।
पितृ पक्ष के दौरान दान:
1. अन्न दान: पितृ पक्ष में अन्न दान करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। विशेषकर, चिउड़े, गुड़, और जौ का दान सर्वोत्तम माना जाता है।
2. पानी दान: तर्पण के दौरान विशेष रूप से पानी का दान भी किया जाता है। यह पितरों की आत्मा को शांति और संतोष प्रदान करता है।
3. पुस्तकें और वस्त्र: गरीबों और ब्राह्मणों को धार्मिक पुस्तकों और वस्त्रों का दान करना भी पितृ पक्ष के दौरान बहुत शुभ माना जाता है।
4. नकद दान: जरूरतमंदों को धन दान करना भी एक अच्छा विकल्प है। इससे गरीबों और ब्राह्मणों की सहायता होती है और पितरों को संतोष मिलता है।
5. सप्तधान और वस्त्र दान: पितृ पक्ष में विशेष रूप से सात प्रकार के दानों (सप्तधान) का दान करना, जैसे कि चने, मूँग, उड़द, और तिल, महत्वपूर्ण होता है।
इन नियमों और दानों का पालन करके पितरों को श्रद्धांजलि अर्पित करने से उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट की जाती है और यह मान्यता है कि इससे परिवार और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
श्राद्ध पक्ष की सेवाओं के लिए संपर्क करें:
1. ब्राम्हण भोजन
2. तर्पण, विधिवत पूजन
3. पिंडदान, विधिवत पूजन
4. पितृ शांति – चतुर्दशी, अमावस्या, श्राद्ध पक्ष
1. घर बैठे भोग प्रसाद चढ़ाएं एवं प्राप्त करें अपने पते पर
2. खाटूश्याम, वृन्दावन, उज्जैन, ओम्कारेश्वर, नलखेड़ा – प्रसाद सेवा
3. मंगल शांति एवं भात पूजन – उज्जैन महाकालेश्वर
4. कालसर्प दोष निवारण – उज्जैन महाकालेश्वर
5. ऋणमुक्ति पूजा – उज्जैन महाकालेश्वर
6. पितृ शांति – उज्जैन महाकालेश्वर
7. अन्य पूजा – उज्जैन महाकालेश्वर
8. जल अभिषेक – उज्जैन महाकालेश्वर, ओम्कारेश्वर
9. रूद्र अभिषेक – उज्जैन महाकालेश्वर, ओम्कारेश्वर
10. पंचामृत अभिषेक – उज्जैन महाकालेश्वर, ओम्कारेश्वर
11. महामृत्युंजय जाप सवा लाख – उज्जैन महाकालेश्वर, ओम्कारेश्वर
12. तंत्र विद्या – नलखेड़ा बगुलामुखी माता जी
13. कोर्ट केस – नलखेड़ा बगुलामुखी माता जी
14. जमीन एवं संपत्ति केस – नलखेड़ा बगुलामुखी माता जी