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16 श्राद्ध या पितृपक्ष हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण समय होता है, जिसमें 16 दिन तक श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। इसे भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से लेकर अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक मनाया जाता है। इस अवधि को पितरों की तृप्ति और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने का विशेष समय माना जाता है। इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति और उन्हें तर्पण देने के लिए विशेष अनुष्ठान और पूजा की जाती है।

16 श्राद्ध के मुख्य तत्व:

1. पितृ तर्पण: पितरों को जल अर्पित करना, जिसे तर्पण कहा जाता है। इसे पवित्र कुश और जल से किया जाता है।

2. पिंडदान: आटे, चावल और तिल के पिंड बनाकर पितरों को समर्पित करना। इसे पितरों को भोजन अर्पण के प्रतीक के रूप में माना जाता है।

3. ब्रह्मण भोज: श्राद्ध के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान देना आवश्यक होता है। इसे पितरों को भोजन कराने के समान माना जाता है।

4. तिथि का महत्व: जिस तिथि को किसी पूर्वज का निधन हुआ हो, उसी तिथि को उनके लिए श्राद्ध किया जाता है। अगर तिथि ज्ञात न हो तो, अमावस्या (सर्वपितृ अमावस्या) को श्राद्ध किया जाता है।

16 श्राद्ध के विभिन्न दिन

प्रत्येक दिन अलग-अलग संबंधियों के लिए श्राद्ध करने का विधान होता है:

1. प्रथम श्राद्ध: अशौच मृत्यु वाले व्यक्तियों का श्राद्ध।

2. द्वितीया श्राद्ध: छोटे भाई या बहन का श्राद्ध।

3. तृतीया श्राद्ध: माता का श्राद्ध।

4. चतुर्थी श्राद्ध: दुर्घटनाग्रस्त लोगों का।

5. पंचमी श्राद्ध: जिन महिलाओं की मृत्यु गर्भावस्था में हो जाती है।

6. षष्ठी श्राद्ध: माता-पिता के बराबर वृद्ध लोगों का।

7. सप्तमी श्राद्ध: संतानहीन पुरुष या स्त्रियों का।

8. अष्टमी श्राद्ध: ननिहाल पक्ष के लोगों का।

9. नवमी श्राद्ध: विवाहित स्त्रियों का।

10. दशमी श्राद्ध: असमय मृत्यु वालों का।

11. एकादशी श्राद्ध: संन्यासियों का।

12. द्वादशी श्राद्ध: जिनके परिवार में कोई भी नहीं हो।

13. त्रयोदशी श्राद्ध: वृद्ध व्यक्तियों का।

14. चतुर्दशी श्राद्ध: जिनकी आकस्मिक मृत्यु हुई हो।

15. पूर्णिमा श्राद्ध: अन्य पितरों का।

16. सर्वपितृ अमावस्या: जिनकी तिथि ज्ञात न हो, उनके लिए श्राद्ध।

पितृपक्ष का समापन अमावस्या (सर्वपितृ अमावस्या) के दिन होता है, जिसे सभी पितरों का श्राद्ध करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है।

श्राद्ध पक्ष की सेवाओं के लिए संपर्क करें:

1. ब्राम्हण भोजन

2. तर्पण, विधिवत पूजन 

3. पिंडदान, विधिवत पूजन

4. पितृ शांति – चतुर्दशी, अमावस्या, श्राद्ध पक्ष 

अन्य सेवाएं:

1. घर बैठे भोग प्रसाद चढ़ाएं एवं प्राप्त करें अपने पते पर

2. खाटूश्याम, वृन्दावन, उज्जैन, ओम्कारेश्वर, नलखेड़ा – प्रसाद सेवा 

3. मंगल शांति एवं भात पूजन – उज्जैन महाकालेश्वर

4. कालसर्प दोष निवारण – उज्जैन महाकालेश्वर

5. ऋणमुक्ति पूजा – उज्जैन महाकालेश्वर

6. पितृ शांति – उज्जैन महाकालेश्वर

7. अन्य पूजा – उज्जैन महाकालेश्वर

8. जल अभिषेक – उज्जैन महाकालेश्वर, ओम्कारेश्वर

9. रूद्र अभिषेक – उज्जैन महाकालेश्वर, ओम्कारेश्वर

10. पंचामृत अभिषेक – उज्जैन महाकालेश्वर, ओम्कारेश्वर

11. महामृत्युंजय जाप सवा लाख – उज्जैन महाकालेश्वर, ओम्कारेश्वर

12. तंत्र विद्या – नलखेड़ा बगुलामुखी माता जी  

13. कोर्ट केस – नलखेड़ा बगुलामुखी माता जी 

14. जमीन एवं संपत्ति केस – नलखेड़ा बगुलामुखी माता जी

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