बहुत समय पहले, एक ब्राह्मण परिवार में सात भाई और एक बहन थी जिसका नाम था करवा। करवा अपने भाइयों की लाडली थी। उसकी शादी एक अच्छे परिवार में हुई थी, और वह अपने पति से बहुत प्रेम करती थी।एक बार करवा चौथ का व्रत आया। करवा ने निर्जला व्रत रखा और पूरे दिन भूखी-प्यासी रही। रात होते-होते, उसकी हालत बहुत खराब हो गई। उसके भाई अपनी बहन की स्थिति देख नहीं पा रहे थे, इसलिए उन्होंने एक चाल चली। भाइयों ने एक पीपल के पेड़ के पीछे से एक दीया जलाकर नकली चंद्रमा का दृश्य बना दिया। बहन को विश्वास हो गया कि चंद्रमा निकल आया है, और उसने अपना व्रत तोड़ दिया।व्रत तोड़ने के बाद, करवा को तुरंत ही अपने पति की मृत्यु की खबर मिली। इससे करवा को बहुत दुख हुआ और उसने भगवान से अपने पति की जान वापस लेने की प्रार्थना की। उसकी प्रार्थना से प्रसन्न होकर भगवान ने उसके पति को जीवनदान दिया।तब से करवा चौथ का यह व्रत सौभाग्य और पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है।