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श्रावण मास: शिवभक्ति का पावन उत्सव
श्रावण मास: शिवभक्ति का पावन उत्सव

हिंदू पंचांग का पाँचवाँ महीना, श्रावण मास (सावन), धार्मिक दृष्टि से सबसे पवित्र महीनों में गिना जाता है। यह वह समय है जब सम्पूर्ण वातावरण शिवमय हो जाता है, मंदिरों में नमः शिवायकी गूंज सुनाई देती है और श्रद्धालु शिवजी की आराधना में लीन हो जाते है।

श्रावण मास की शुभता का एक अन्य कारण है इसका प्रकृति से गहरा संबंध। यह मास वर्षा ऋतु में आता है, जब प्रकृति हरियाली से भरपूर होती है। मान्यता है कि इस समय शिवजी की पूजा करने से मनुष्य को आध्यात्मिक और शारीरिक शुद्धि प्राप्त होती है। यह मास भक्तों के लिए तप, ध्यान और भक्ति का समय है, जो उन्हें शिवजी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने में सहायता करता है।

आइए जानते हैं कि क्यों श्रावण मास इतना खास है और कैसे इसे मनाकर हम भोलेनाथ की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

श्रावण मास शुभ क्यों है?

श्रावण मास को शुभ माना जाता है क्योंकि इस दौरान प्रकृति और आत्मा दोनों का शुद्धिकरण होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह मास भगवान शिव की विशेष कृपा का प्रतीक है। इस मास में किए गए व्रत, पूजा और दान-पुण्य से भक्तों को पुण्य की प्राप्ति होती है और उनके पापों का नाश होता है। श्रावण मास में शिवलिंग पर जल, दूध और बेलपत्र अर्पित करने से शिवजी प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

  • श्रावण मास में हर दिन शुभ माना जाता है, खासकर सोमवार (श्रावण सोमवार) को। यह माह शिवतत्वों से परिपूर्ण रहता है, जिससे वातावरण में दिव्यता और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  • यह मास चातुर्मास का पहला महीना है, जिसमें भक्ति, साधना और तपस्या का विशेष महत्व है।
  • मान्यता है कि इस मास में की गई पूजा, व्रत और दान का फल कई गुना अधिक मिलता है
श्रावण मास: शिवभक्ति का पावन उत्सव

श्रावण सोमवार का महत्व

श्रावण मास में पड़ने वाले प्रत्येक सोमवार को श्रावण सोमवार के रूप में मनाया जाता है। सोमवार का दिन भगवान शिव को विशेष रूप से प्रिय है, और श्रावण मास के सोमवार और भी पवित्र माने जाते हैं। भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और शिव मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना करते हैं। श्रावण सोमवार के व्रत और पूजा से भक्तों को मानसिक शांति, समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।

भगवान शिव से क्यों जुड़ा है श्रावण मास?

पुराणों के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान जब हलाहल विष निकला, तो भगवान शिव ने संसार की रक्षा के लिए उसे अपने कंठ में धारण किया। इस विष के प्रभाव से बचने के लिए देवता और ऋषि-मुनि लगातार शिवजी पर गंगाजल चढ़ाते रहे। यह घटना श्रावण मास में हुई थी, इसीलिए इस महीने में शिवलिंग पर जल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई।

एक अन्य मान्यता के अनुसार, भगवान शिव ने पार्वती जी से विवाह भी श्रावण मास में किया था। इसलिए यह महीना शिव-शक्ति के मिलन का प्रतीक भी माना जाता है।

श्रावण मास में पूजा और अनुष्ठान

श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा के लिए विशेष विधि-विधान का पालन किया जाता है। कुछ प्रमुख पूजा और अनुष्ठान इस प्रकार हैं:

  1. शिवलिंग अभिषेक: शिवलिंग पर जल, दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से अभिषेक करें। यह शिवजी को प्रसन्न करने का सबसे प्रभावी तरीका है।
  2. बेलपत्र और फूल अर्पित करना: शिवजी को बेलपत्र, धतूरा, भांग और सफेद फूल विशेष रूप से प्रिय हैं। इन्हें शिवलिंग पर अर्पित करें।
  3. श्रावण सोमवार व्रत: प्रत्येक सोमवार को व्रत रखें। इस दिन केवल फल, दूध या व्रत के लिए उपयुक्त भोजन ग्रहण करें।
  4. रुद्राभिषेक: यह एक विशेष पूजा है जिसमें शिवजी के रुद्र रूप की पूजा की जाती है। इसमें रुद्र मंत्रों का जाप और अभिषेक किया जाता है।
  5. महा मृत्युंजय मंत्र जाप: इस मंत्र का जाप करने से स्वास्थ्य, दीर्घायु और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  6. शिव चालीसा और शिव तांडव स्तोत्र का पाठ: इनका पाठ करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।

श्रावण मास के लाभ

  • आध्यात्मिक शुद्धि: मन, शरीर और आत्मा की शुद्धि होती है, जिससे जीवन में सकारात्मकता आती है।
  • शिवजी की कृपा: व्रत, पूजा और उपासना से शिवजी की विशेष कृपा मिलती है, जिससे मनोकामनाएँ पूर्ण होती है।
  • वैवाहिक सुख: कुंवारी कन्याएँ अच्छे वर की प्राप्ति के लिए और विवाहित महिलाएँ वैवाहिक सुख व पति की लंबी आयु के लिए व्रत करती है।
  • मानसिक शांति: उपवास और साधना से मन में स्थिरता, शांति और संतुलन आता है।
  • स्वास्थ्य लाभ: सात्विक भोजन, संयम और ध्यान से स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है।
  • मनोकामना पूर्ति: शिवजी की कृपा से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  • पापों का नाश: श्रावण मास में किए गए दान-पुण्य और पूजा से पापों का नाश होता है।
  • पारिवारिक सुखसमृद्धि: परिवार में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

    श्रावण मास केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति का एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस पावन महीने में भगवान शिव की उपासना करके हम न केवल उनकी कृपा प्राप्त करते हैं, बल्कि अपने जीवन को भी संस्कारित बनाते हैं। यजमान ऐप के माध्यम से आप घर बैठे ही भगवान शिव की आराधना कर श्रावण का पूरा लाभ उठा सकते हैं।

    हर हर महादेव!

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