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हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार मनुष्य का शरीर पञ्च तत्वों से मिलकर बना है और मृत्यु के पश्चात शरीर इन पञ्च तत्वों में विलीन हो जाता है। किन्तु महाभारत के अनुशासन पर्व में पितामह भीष्म बताते हैं कि मोहमाया के बंधन में फंसी जीवात्मा शरीर की मृत्यु के पश्चात भी यमराज के पास रहती हैं और पितृ पक्ष में अपनी संतानों से मिलने आती हैं। इसलिए पितृ पक्ष में अगर श्राद्ध, तर्पण या पिंड दान किया जाए तो आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है और साथ ही संतान के ऊपर से पितृ दोष समाप्त हो जाता है। 

इसके बाद से पितृ पक्ष, जो आश्विन महीने के कृष्ण पक्ष को कहते हैं, के दौरान पितरों को प्रसन्न करने और उनकी मुक्ति के लिए उपाय किये जाते हैं। तीन मुख्य उपाय हैं जो हैं श्राद्ध, तर्पण और पिंड दान। आइये जानते हैं इन तीनो में अंतर क्या है और कब क्या करना चाहिए।

श्राद्ध क्या है?

श्राद्ध में श्र शब्द है जिसका मतलब है “श्रद्धा” और धा शब्द है जिसका मतलब है “धारण” करना। श्रद्धा पूर्वक जो सत्य को धारण करके पूर्वजों के मुक्ति के लिए कर्म किये जाते हैं वो श्राद्ध कहे जाते हैं।

ब्राम्हण भोजन करवाने के लिए संपर्क करें।

तर्पण क्या है?

किसी कारणवश या अपनी इच्छापूर्ति ना होने की वजह से अत्माएं “अतृप्त” रह जाती हैं जिससे उनको मुक्ति नहीं मिलती। ये अत्मा बेचैन रहती हैं और अपनी इच्छा पूर्ति के लिए प्रतीक्षा करती हैं। ऐसे में अगर इनको जल देकर तृप्त किया जाए तो इसे “तर्पण” कहते हैं। 

पितरों के तर्पण एवं विधिवत पूजन के लिए “यजमान पंडित” जी को बुक करने के लिए संपर्क करें।

पिंडदान क्या है?

पिंडदान सामान्यतः पति और पत्नी दोनों के मृत्यु के पश्चात उनकी संतान द्वारा किया गया कर्म है जिसे गया नामक स्थल पर किया जाता है। पिंडदान के बाद आत्मा को मुक्ति मिल जाती है ऐसी मान्यता है।

श्राद्ध, तर्पण और पिंड दान ये तीनों क्रियाएं दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके ही की जाती हैं। तर्पण करते समय अंजुली में काला तिल जरुर रखना चाहिए।

पितरों के मोक्ष प्राप्ति हेतु एवं विधिवत पूजन के लिए “यजमान पंडित” जी को बुक करने के लिए संपर्क करें।

पंचबली कौन हैं?

श्राद्ध के दौरान पितरों के लिए भोजन अर्पित करते समय इस बात का ध्यान रखें की पंचबली के लिए भोजन जरुर निकालें। पंचबली का मतलब हैं पांच जीव और ये जीव हैं गाय, कुत्ता, कौवा, देवतागण और चींटी।

ब्राम्हण भोज के लिए “यजमान ब्राम्हण” से संपर्क करें।

श्राद्ध पक्ष की सेवाओं के लिए संपर्क करें:

1. ब्राम्हण भोजन

2. तर्पण, विधिवत पूजन 

3. पिंडदान, विधिवत पूजन

4. पितृ शांति – चतुर्दशी, अमावस्या, श्राद्ध पक्ष 

अन्य सेवाएं:

1. घर बैठे भोग प्रसाद चढ़ाएं एवं प्राप्त करें अपने पते पर

2. खाटूश्याम, वृन्दावन, उज्जैन, ओम्कारेश्वर, नलखेड़ा – प्रसाद सेवा 

3. मंगल शांति एवं भात पूजन – उज्जैन महाकालेश्वर

4. कालसर्प दोष निवारण – उज्जैन महाकालेश्वर

5. ऋणमुक्ति पूजा – उज्जैन महाकालेश्वर

6. पितृ शांति – उज्जैन महाकालेश्वर

7. अन्य पूजा – उज्जैन महाकालेश्वर

8. जल अभिषेक – उज्जैन महाकालेश्वर, ओम्कारेश्वर

9. रूद्र अभिषेक – उज्जैन महाकालेश्वर, ओम्कारेश्वर

10. पंचामृत अभिषेक – उज्जैन महाकालेश्वर, ओम्कारेश्वर

11. महामृत्युंजय जाप सवा लाख – उज्जैन महाकालेश्वर, ओम्कारेश्वर

12. तंत्र विद्या – नलखेड़ा बगुलामुखी माता जी  

13. कोर्ट केस – नलखेड़ा बगुलामुखी माता जी 

14. जमीन एवं संपत्ति केस – नलखेड़ा बगुलामुखी माता जी

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