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नवरात्रि का त्योहार हिंदू धर्म में शक्ति और साधना का प्रमुख पर्व है, जिसमें देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस पर्व के अंतिम तीन दिन—सप्तमी, अष्टमी और नवमी—विशेष रूप से महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इन दिनों की पूजा विधि, अनुष्ठान, और धार्मिक महत्व का अलग ही स्थान है। इन तीन दिनों में देवी दुर्गा के शक्तिशाली रूपों की आराधना की जाती है और साधक देवी से विशेष कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।

सप्तमी पूजा: सप्तमी का महत्व और पूजा विधि

नवरात्रि के सातवें दिन को सप्तमी कहा जाता है, और इस दिन देवी दुर्गा के कूष्मांडा रूप की पूजा की जाती है। कूष्मांडा देवी को “सृजन की देवी” कहा जाता है क्योंकि उन्होंने अपनी मुस्कान से इस ब्रह्मांड का निर्माण किया। सप्तमी के दिन इनकी पूजा से साधक को सुख-समृद्धि और स्वस्थ जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

पूजा विधि:

  1. स्नान और शुद्धि: प्रातः काल में स्नान करके साधक पवित्रता का पालन करते हैं।
  2. कलश पूजन: कलश में जल, आम के पत्ते, नारियल, और सुपारी रखकर उसकी पूजा की जाती है। यह कलश देवी का प्रतीक माना जाता है।
  3. कूष्मांडा देवी का ध्यान: देवी कूष्मांडा की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीप जलाकर, फूल, धूप, और नैवेद्य (भोग) अर्पित किया जाता है। इसके बाद देवी के मंत्रों का उच्चारण किया जाता है।
  4. नैवेद्य: सप्तमी के दिन पूजा में विशेष रूप से नारियल और गुड़ से बने व्यंजन का भोग लगाया जाता है।
  5. आरती और प्रसाद वितरण: अंत में आरती की जाती है और प्रसाद सभी भक्तों में बांटा जाता है। इस दिन विशेषकर अपनी ऊर्जा को सकारात्मक रूप में केंद्रित करने की सलाह दी जाती है।

अष्टमी पूजा: महागौरी की पूजा का महत्व

नवरात्रि का आठवां दिन, जिसे अष्टमी कहा जाता है, देवी दुर्गा के महागौरी रूप की पूजा के लिए विशेष रूप से समर्पित होता है। महागौरी का रूप अत्यंत श्वेत और शांतिपूर्ण होता है। उनकी पूजा से साधक अपने सारे पापों से मुक्त होकर शुद्धता प्राप्त करता है। महागौरी को करुणा और शांति की देवी माना जाता है, और उनकी पूजा से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।

पूजा विधि:

  1. महागौरी की प्रतिमा स्थापना: महागौरी की मूर्ति या तस्वीर को घर के पूजा स्थल में रखा जाता है।
  2. ध्यान और मंत्र जाप: देवी महागौरी का ध्यान करते हुए उनके मंत्र का जाप किया जाता है। अष्टमी के दिन विशेष रूप से “ॐ देवी महागौर्यै नमः” मंत्र का उच्चारण किया जाता है।
  3. भोग अर्पण: अष्टमी के दिन विशेष रूप से हलवा, पूड़ी और चने का भोग देवी महागौरी को अर्पित किया जाता है।
  4. कन्या पूजन: अष्टमी के दिन कन्या पूजन का भी विशेष महत्व होता है। कन्या पूजन में 9 कन्याओं को देवी के रूप में पूजकर उन्हें भोजन कराया जाता है और उपहार दिए जाते हैं।
  5. महागौरी की आरती: पूजा के अंत में महागौरी की आरती की जाती है और भक्तजन उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

नवमी पूजा: सिद्धिदात्री की पूजा और कन्या पूजन का समापन

नवरात्रि का नौवां दिन, जिसे नवमी कहा जाता है, देवी सिद्धिदात्री की पूजा के लिए विशेष होता है। सिद्धिदात्री देवी को सभी सिद्धियों की दात्री माना जाता है। इनकी पूजा से साधक को आठ प्रमुख सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं, जैसे अणिमा, महिमा, गरिमा आदि। नवमी के दिन सिद्धिदात्री की पूजा करने से जीवन में पूर्णता और सफलता प्राप्त होती है।

पूजा विधि:

  1. सिद्धिदात्री की प्रतिमा: पूजा स्थल पर देवी सिद्धिदात्री की प्रतिमा को स्थापित करके उनकी पूजा की जाती है।
  2. मंत्र जाप और ध्यान: “ॐ सिद्धिदात्र्यै नमः” मंत्र का जाप करते हुए देवी का ध्यान किया जाता है।
  3. भोग और प्रसाद: नवमी के दिन विशेष रूप से खीर और नारियल का भोग अर्पित किया जाता है।
  4. कन्या पूजन का समापन: नवमी के दिन कन्या पूजन की समापन विधि होती है। कन्याओं को भोजन कराकर, उनके चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लिया जाता है। उन्हें उपहार स्वरूप वस्त्र और दक्षिणा दी जाती है।
  5. दुर्गा विसर्जन: नवमी के दिन दुर्गा सप्तशती के पाठ के साथ दुर्गा विसर्जन भी किया जाता है, जिसमें देवी की मूर्ति या कलश का विसर्जन किया जाता है।

धार्मिक अनुष्ठान: इन दिनों के खास अनुष्ठान और उनका महत्व

सप्तमी, अष्टमी और नवमी के दिन धार्मिक अनुष्ठानों का विशेष महत्व होता है। ये अनुष्ठान साधक के जीवन में शांति, सुख, और समृद्धि लाते हैं। इन तीन दिनों में प्रमुख अनुष्ठानों में हवनदुर्गा सप्तशती का पाठकन्या पूजन, और आरती शामिल हैं।

  1. हवन: हवन देवी की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इसमें अग्नि के माध्यम से देवी को आहुतियाँ अर्पित की जाती हैं। सप्तमी, अष्टमी और नवमी के दिन हवन करना विशेष फलदायी माना जाता है।
  2. दुर्गा सप्तशती का पाठ: इन दिनों दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से साधक को विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह पाठ देवी की महिमा का वर्णन करता है और साधक को आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है।
  3. कन्या पूजन: कन्या पूजन का धार्मिक महत्व विशेष रूप से अष्टमी और नवमी के दिन होता है। यह पूजन कन्याओं को देवी के रूप में मान्यता देकर किया जाता है, जिससे समाज में बालिकाओं के प्रति सम्मान बढ़ता है।
  4. आरती और प्रसाद वितरण: तीनों दिनों में विशेष आरती की जाती है और प्रसाद के रूप में भक्तों को भोजन वितरित किया जाता है।

समाप्ति: नवरात्रि के अंतिम तीन दिनों में किए जाने वाले कार्य और उनका महत्व

नवरात्रि के अंतिम तीन दिन—सप्तमी, अष्टमी, और नवमी—न केवल देवी की आराधना के लिए महत्वपूर्ण होते हैं, बल्कि ये दिन साधक के जीवन में आत्मिक उन्नति और शुद्धिकरण के भी प्रतीक होते हैं। इन दिनों की पूजा और अनुष्ठान देवी की शक्ति और कृपा प्राप्त करने के लिए आवश्यक माने जाते हैं।

  1. आध्यात्मिक शांति: सप्तमी, अष्टमी, और नवमी के दिन की पूजा विधि साधक को आत्मिक शांति प्रदान करती है। देवी के विभिन्न रूपों की आराधना से साधक अपने भीतर की नकारात्मकता को दूर करके आत्मा की शुद्धि करता है।
  2. समृद्धि और सफलता: देवी सिद्धिदात्री की कृपा से साधक को जीवन में समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है। नवमी के दिन की पूजा व्यक्ति को सिद्धियों का आशीर्वाद देती है, जिससे उसका जीवन सुखमय और सफल होता है।
  3. सामाजिक संदेश: इन तीन दिनों में कन्या पूजन के माध्यम से समाज में बालिकाओं के प्रति सम्मान और उनका महत्त्व बढ़ाने का प्रयास किया जाता है। यह पूजा केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।

नवरात्रि के ये अंतिम तीन दिन देवी की शक्ति को अनुभव करने, अपने जीवन में शांति और समृद्धि लाने, और समाज में सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होते हैं।

नवरात्री की सेवाओं के लिए संपर्क करें:

  1. कन्या पूजन एवं भोज 
  2. पंडित जी बुकिंग 
  3. दुर्गा सप्तशती का पाठ

अन्य सेवाएं:

  1. घर बैठे भोग प्रसाद चढ़ाएं एवं प्राप्त करें अपने पते पर
  2. खाटूश्याम, वृन्दावन, उज्जैन, ओम्कारेश्वर, नलखेड़ा – प्रसाद सेवा 
  3. मंगल शांति एवं भात पूजन – उज्जैन महाकालेश्वर
  4. कालसर्प दोष निवारण – उज्जैन महाकालेश्वर
  5. ऋणमुक्ति पूजा – उज्जैन महाकालेश्वर
  6. पितृ शांति – उज्जैन महाकालेश्वर
  7. अन्य पूजा – उज्जैन महाकालेश्वर
  8. जल अभिषेक – उज्जैन महाकालेश्वर, ओम्कारेश्वर
  9. रूद्र अभिषेक – उज्जैन महाकालेश्वर, ओम्कारेश्वर
  10. पंचामृत अभिषेक – उज्जैन महाकालेश्वर, ओम्कारेश्वर
  11. महामृत्युंजय जाप सवा लाख – उज्जैन महाकालेश्वर, ओम्कारेश्वर
  12. तंत्र विद्या – नलखेड़ा बगुलामुखी माता जी  
  13. कोर्ट केस – नलखेड़ा बगुलामुखी माता जी 
  14. जमीन एवं संपत्ति केस – नलखेड़ा बगुलामुखी माता जी 

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